विज्ञान तथा ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सौर मंडल में सूर्य, बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, राहू और केतु उपस्थित हैं । सामूहिक रूप से इन्हें नवग्रह कहा जाता है । नवग्रह का उल्लेख हमारे ब्रह्मांड की संरचना में प्रमुख रूप से प्राप्त होता है । सौरमंडल के ये सभी ग्रह हम पृथ्वीवासियों के जीवन को विभिन्न तरह से प्रभावित करते हैं। जितने तारागण हैं उतनी ही वायुमयी नाड़िया हैं जिनमें बंधकर सभी ग्रह सूर्य की प्रदक्षिणा करते हैं। साथ ही ये अपने ध्रुव को भी सतत घूमाते रहते हैं | नवग्रहों का परिचय इस प्रकार है
सौरमंडल का प्रथम ग्रह सूर्य है। ऋषि कश्यप और अदिति के पुत्र सूर्य सौरमंडल के प्रधान हैं। शनिदेव, यमदेव और महाभारत के विख्यात चरित्र कर्ण सूर्यनारायण की संतति हैं भगवान विष्णु जो सर्वशक्तिमान है वह जगत का पालन करते हैं विष्णु सूर्य के वेद मयी रूपिणी पराशक्ति में निवास करते हैं सात घोड़ों के रथ में सवार जो सात चक्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए सूर्यनारायण भी कहा गया है सूर्य बौद्धिक प्रगति और स्मृति विकास के प्रतीक माने गए हैं सूर्य अपनी किरणों से भूमि से जो जल खींचते हैं उन सबको पृथ्वी व प्राणियों की पुष्टि और वृद्धि के लिए बरसा भी देते हैं आंकड़े का वृक्ष सूर्य को प्रसन्न करने के लिए पूजा जाता है बौध्दिक प्रगति के लिए करते है। सूर्य आँखो के स्वामी हैं। सूर्य चतुरस्र शरीर वाला, पित्त प्रकृति, रक्त एवं श्याम मिश्रित वर्ण तथा स्थूल शरीर वाला होता है ।
चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है यह गौर वर्ण है इसके दोनों हाथों में एक मुग्दल और एक कमल है इन के रथ में 10 सफेद घोड़े होते हैं सूर्य अपनी प्रखर रश्मि से संसार का जल जो भूमि लेते हैं चंद्रमा उस जल को वायुमई नाड़ियों के मार्ग से पृथ्वी पर पहुंचाता है यही जल निर्मल होकर पृथ्वी को पोषित करता है पलाश का वृक्ष चंद्र कहलाता है जो मानसिक रोगों से मुक्ति देता है सोमवार चंद्रमा का दिन कहलाता है यह सब सत्व गुण वाला है। चंद्रमा मेधावी, गौर वर्ण, कफ एवं वात प्रकृति मधुरभाषी, कृश एवं गोल आकृति तथा उन्नत शरीर वाला होता है ।
मंगल भूमिपुत्र है, यह ऊर्जावान आत्मविश्वास और अहंकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंगल युद्ध के देवता है ब्रह्मचारी हैं इनकी चार भुजाएं हैं। शरीर लाल, वस्त्र लाल, वाहन भेड़, हाथों में गदा, त्रिशूल, अभय मुद्रा तथा वर मुद्रा धारण करे हुए हैं। संस्कृत में मंगल को अंगारक भी कहते हैं। मंगल का स्वर्ण निर्मित अरुण वर्ण 8 घोड़ों से युक्त है तीन पहियों वाला रथ है। खेर का वृक्ष पूजन से रक्त विकार चर्म रोग समाप्त होते हैं व प्रतिष्ठा बढ़ती है । मंगल हिंसक, अधिक मज्जा युक्त शरीर वाला होता है |
चंद्रमा और तारा का पुत्र बुध है। इनका रथ वायु और अग्निमय द्रव्य से बना इसमें 8 घोड़े है। पिशंगवर्ण के हैं इनके हाथों में मुगदल और ढाल कृपाण है। हरे रंग के व शांत प्रकृति के है, यह ह्रदय के स्वामी है अपामार्ग नाम का वृक्ष बुध का माना जाता है जो मानसिक संतुलन बनाता है और वायव्य बाधा का शमन करके हृदय को पुष्ट करता है। बुध सामान्य स्वरूप वाला मधुरभाषी, स्थूल त्वचा, कफ-पित्त-वात-वात तीनों प्रकृ सर्वदा प्रसन्न रहने वाला होता है ।
गुरु को बृहस्पति भी कहते है। बृहस्पति का रथ पांडू वर्ण 8 घोड़ो युक्त है यह वर्ष के अंत में प्रत्येक राशि में विराजमान होते हैं यह देवताओं के गुरु हैं जो शील धर्म को धारण किए हुए पीले तथा सुनहरे रंग के अपने हाथ में छड़ी कमल और माला धारण किए हैं। पीले ओर सुनहरे रंग के होते हैं पीपल का वृक्ष गुरु ग्रह का माना है यह ज्ञान की वृद्धि करता है और विष्णु की कृपा बनी रहती है। गुरु ग्रह बुद्धिमान, स्थूल शरीर वाला, बृहत् शरीर वाला होता है ।
भृगु के बेटे दैत्यों के शिक्षक असुरों के गुरु शुक्र का पृथ्वी से उत्पन्न घोड़ों से युक्त रथ है। गूलर का झाड़ पूजने से पूर्वजन्म के दोष का नाश होता है। शुक्र राजसी, धन और प्रजनन के लिए माने जाते है।शुक्र श्याम वर्ण वाला, सदा प्रसन्न रहने वाला, कांति युक्त शरीर वाला होता है ।
यह मुख्य खगोलीय ग्रह है । तमस प्रकृति का न्यायप्रिय सूर्य और छाया का पुत्र शनि काले रंग, कपड़ो में, हाथों में तलवार, खंजर लिए काले कौवे पर सवार दिखाई देते है । आकाश से उत्पन्न हुए विचित्र वर्ण के घोड़ो से युक्त रथ में मंदगामी शनिश्चर धीरे धीरे चलते है। शमी का झाड़ शनि के लिये माना जाता है, धन वृद्धि, कार्य मे प्रगति, ओर बाधाओं के निवारण के लिए शमी की पूजा की जाती हैं। शनि कृश और लंबा शरीर वाला, वात प्रकृति, स्थूल नख, दंत और रोम वाला होता है ।
आठ काले घोड़े पर सवार जिसका सिर नही है, तमस प्रकृति वाले असुर है जो कष्ट दायक है। राहु की शांति के लिए चन्दन के पेड़ की पूजन की जाती है, जो राहु पीड़ा को कम करता है, सर्पदंश का भय समाप्त होता है, ऐसी मान्यता है ।
यह प्रकृति से तमस गुण वाला, छाया ग्रह रूप आठ घोड़े जो धुँए जैसी आभा वाले ग्रह है कुछ विशिष्ट परिस्थितियों मे व्यक्ति विशेष को प्रसिध्दि के शिखर पर पहुचाने में मददगार होते है केतु के लिये अश्वगन्धा पेड़ को बताया गया है इससे मानसिक विकलता दूर होती है ऐसी मान्यता है