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शिव नवरात्रि 2025 - महाकाल में 9 दिन क्यों मनाते हैं शिवनवरात्रि



शिव नवरात्रि 2025 - महाकाल में 9 दिन क्यों मनाते हैं शिवनवरात्रि

Published on: 24/02/2025

शिव नवरात्रि – उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की अनूठी परंपरा

नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल में पांच नवरात्रि होती हैं? इनमें से चार नवरात्रि देवी दुर्गा को समर्पित होती हैं, जबकि पांचवीं नवरात्रि भगवान शिव की आराधना के लिए होती है, जिसे शिव नवरात्रि कहा जाता है। यह विशेष पर्व केवल उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ही धूमधाम से मनाया जाता है।

 

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व

भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग अपनी अनूठी विशेषताओं के कारण सबसे अलग और महत्वपूर्ण है। अन्य ज्योतिर्लिंगों की तुलना में यह दक्षिणमुखी शिवलिंग है, जो इसे और भी दिव्य बनाता है। महाशिवरात्रि से 9 दिन पहले शिव नवरात्रि का शुभारंभ होता है, जिसमें भगवान महाकाल का विशेष श्रृंगार और अनुष्ठान किए जाते हैं।

 

महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल का सेहरा दर्शन किया जाता है, जो पूरे वर्ष में केवल इसी दिन होता है। भक्तों को इस दिन भगवान महाकाल के दूल्हे के स्वरूप में दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

इसके अलावा, वर्ष में केवल एक बार दोपहर 12 बजे विशेष भस्म आरती आयोजित की जाती है, जो शिव भक्तों के लिए अलौकिक अनुभव प्रदान करती है।

 

शिव नवरात्रि का प्रारंभ और अनुष्ठान

शिव नवरात्रि का शुभारंभ शिव पंचमी से होता है। इस दौरान मंदिर में विशेष पूजन और अभिषेक किए जाते हैं। इन नौ दिनों में भगवान महाकाल का विशेष श्रृंगार किया जाता है और विभिन्न अनुष्ठान संपन्न होते हैं।

 

भगवान महाकाल के विशेष स्वरूप और श्रृंगार

1. चंदन शृंगार – पहले दो दिन भगवान महाकाल का चंदन का लेप कर श्रृंगार किया जाता है।

2. शेषनाग शृंगार – भगवान महाकाल को शेषनाग का आभूषण धारण कराया जाता है।

3. घटाटोप – शिव जब तांडव नृत्य करते हैं, तो उनकी जटा खुल जाती है, जिससे यह स्वरूप बनता है।

4. छबीना – इस दिन भगवान महाकाल दूल्हे के रूप में सजाए जाते हैं।

5. होलकर मुखारविंद – होलकर राजवंश द्वारा निर्मित यह अनूठा स्वरूप।

6. मनमहेश – इस स्वरूप में भगवान का आकर्षक और मनमोहक रूप दर्शाया जाता है।

7. उमा महेश – यह स्वरूप शिव और शक्ति के संयुक्त रूप को दर्शाता है।

8. शिव तांडव – इसमें भगवान महाकाल को तांडव नृत्य करते हुए दिखाया जाता है।

9. सप्तधान्य – भगवान को सात प्रकार के धान्य अर्पित किए जाते हैं, जो जीवन के मूल तत्वों का प्रतीक है।

 

भक्तों की आस्था और मनोकामना

शिव नवरात्रि के दौरान महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। ऐसा माना जाता है कि इन नौ दिनों में जो भक्त भगवान महाकाल के दर्शन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

 

अंतिम दिवस – महाशिवरात्रि का पर्व

नौ दिनों तक चलने वाले इस पावन उत्सव का समापन महाशिवरात्रि के दिन होता है। इस दिन भगवान महाकाल का भव्य श्रृंगार किया जाता है और रातभर विशेष पूजन-अर्चना की जाती है।

 

उज्जैन – धर्म और आस्था की नगरी

उज्जैन को धर्म और आस्था की नगरी कहा जाता है। यह न केवल महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि कुंभ मेले के आयोजन के लिए भी जानी जाती है।

 

शिव नवरात्रि केवल एक पर्व ही नहीं, बल्कि भगवान शिव और माता पार्वती के पावन मिलन की याद भी दिलाता है। उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर इस अनूठी परंपरा को सदियों से जीवंत बनाए हुए है। शिवभक्तों के लिए यह भक्ति और श्रद्धा का अनोखा अवसर है, जिसमें वे भगवान महाकाल की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

 

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