उज्जैन की धरती पर स्थित 24 खंबा माता मंदिर, एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है, जो प्राचीन भारतीय वास्तुकला और आस्था का प्रतीक है। इस मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है, जहाँ माता महामाया और महालया की पूजा की जाती है।
24 खंबा माता मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में प्रतिहार वंश के समय हुआ था। यह मंदिर 24 खंभों से घिरा है, जो उस समय की अद्वितीय शिल्पकला का प्रदर्शन करते हैं। माता महामाया और महालया की आराधना के लिए यह मंदिर प्राचीन समय से महत्वपूर्ण स्थल रहा है।
24 खंबा माता मंदिर का इतिहास सम्राट विक्रमादित्य से भी जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि विक्रमादित्य ने इस मंदिर में विशेष पूजा कर उज्जैन नगर की सुरक्षा के लिए माता महामाया की आराधना की थी। माता महामाया को विक्रमादित्य ने नगर देवी के रूप में प्रतिष्ठित किया, और तभी से इस मंदिर में 'नागर पूजा' की परंपरा चली आ रही है। इस पूजा का उद्देश्य नगर और उसके निवासियों की रक्षा और कल्याण के लिए होता था।
नागर पूजा, इस मंदिर की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस पूजा में उज्जैन शहर की समृद्धि और सुरक्षा के लिए विशेष मंत्रोच्चार और अनुष्ठान किए जाते हैं। इस प्राचीन परंपरा को विक्रमादित्य के समय से आगे बढ़ाया जा रहा है, और हर साल यह पूजा विशेष महत्त्व के साथ की जाती है।
मंदिर की खासियत इसके 24 खंबे हैं, जिनमें प्राचीन मूर्तियों और नक्काशी का अद्भुत उदाहरण देखने को मिलता है। हर खंबा उस समय की वास्तुकला का एक अनूठा नमूना है। यह मंदिर प्राचीन भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रमाण है।
मुगल आक्रमण के दौरान इस मंदिर को क्षति पहुँची थी, लेकिन इसकी महिमा को बरकरार रखने के लिए इसका पुनर्निर्माण किया गया। इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व आज भी उतना ही है जितना प्राचीन समय में था।
Address : 24, Gudri Chouraha, Jaisinghpura, Ujjain, Madhya Pradesh 456006
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