Place - Shree Harsiddhi Mata Shaktipeeth Temple Ujjain - About Ujjain

हरसिद्धि माता मंदिर - आस्था और शक्ति का प्रतीक

 

 

उज्जैन, मध्य प्रदेश का एक प्राचीन और पवित्र नगर, जिसे मध्य प्रदेश की आध्यात्मिक राजधानी भी कहा जाता है। यह नगरी सदियों से भक्ति, ज्ञान और अध्यात्म का केंद्र रही है। इसी पवित्र भूमि पर स्थित है हरसिद्धि माता मंदिर, एक ऐसा स्थल जो देवी शक्ति की उपासना का अद्वितीय केंद्र है। उज्जैन का यह मंदिर उन सभी के लिए आस्था का केंद्र है, जो माँ हरसिद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।

 

हर्षिद्धि माता मंदिर (Harsiddhi Mata Mandir) प्रसिद्ध 52 शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है । पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माता सती के पिता दक्षराज ने विराट यज्ञ का भव्य आयोजन किया था जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवता व गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया । परन्तु उन्होंने माता सती व भगवान शिवजी को नहीं बुलाया ।

 

फिर भी माता सती उस यज्ञ उत्सव में उपस्थित हुईं । वहां माता सती ने देखा कि दक्षराज उनके पति देवाधिदेव महादेव का अपमान कर रहे थे । यह देख वे क्रोधित हो अग्निकुंड में कूद पड़ीं । यह जानकर शिव शंभू अत्यंत क्रोधित हो उठे और उन्होंने माता सती का शव लेकर सम्पूर्ण विश्व का भ्रमण शुरू कर दिया । शिवजी की ऐसी दशा देखकर सम्पूर्ण विश्व में हाहाकार मच गया । देवी-देवता व्याकुल होकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे और संकट के निवारण हेतु प्रार्थना करने लगे ।

 

तब शिवजी का सती के शव से मोहभंग करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाया था । चक्र से माँ सती के शव के कई टुकड़े हो गए ।

उनमें से 13वा टुकड़ा माँ सती की कोहनी के रूप में उज्जैन के इस स्थान पर गिरा । तब से माँ यहां हरसिद्धि मंदिर के रूप में स्थापित हुईं ।

इतिहास के पन्नों से यह ज्ञात होता है कि माँ हरसिद्धेश्वरी सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी थी जिन्हें प्राचीन काल में ‘मंगलचण्डि’ के नाम से जाना जाता था ।

 

राजा विक्रमादित्य इन्हीं देवी की आराधना करते थे एवं उन्होंने ग्यारह बार अपने शीश को काटकर माँ के चरणों में समर्पित कर दिया पर आश्चर्यवाहिनी माँ पुनः उन्हें जीवित व स्वस्थ कर देती थी । यही राजा विक्रमादित्य उज्जैन के सम्राट थे जो अपनी बुद्धि, पराक्रम और उदारता के लिए जाने जाते थे । इन्हीं राजा विक्रमादित्य के नाम से विक्रम संवत की शुरुआत हुई ।

 

हरसिद्धि माता मंदिर की प्राचीनता और धार्मिक महत्व सदियों पुराना है। यहाँ माता हरसिद्धि की आराधना करने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। उज्जैन के इस मंदिर का पुनर्निर्माण कई बार हुआ है, लेकिन इसकी मूल पवित्रता और शक्ति आज भी वैसी ही है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित दो विशाल दीप स्तंभ इसके विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।

 

हरसिद्धि माता मंदिर का एक और विशेष पहलू है की यह मंदिर पवित्र क्षिप्रा नदी के पास स्थित है । उज्जैन में बहने वाली यह नदी भक्तों के लिए मोक्ष का मार्ग मानी जाती है। क्षिप्रा के जल में स्नान कर भक्त शुद्धि का अनुभव करते हैं और इसके बाद हरसिद्धि माता के दर्शन कर अपनी आध्यात्मिक यात्रा को पूर्ण करते हैं। न सिर्फ धार्मिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी यह नदी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

 

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